Balaji Wafers Success Story :10,000 की इन्वेस्टमेंट कब बदल गई 4000 करोड़ की कंपनी में, जानें सफलता को कहानी

Balaji Wafers Success Story: स्वागत है दोस्तों आप लोगों का बिजनेस सक्सेस स्टोरी के एक बहुत ही इमोशनल आर्टिकल में आज मैं आप लोगों को यह कैसे इंसान की कहानी बताने वाला हूं जिसे सिर्फ 10000 रुपया लगाकर अपना बिजनेस शुरू किया और आज के समय में उसे इंसान में अपनी कंपनी को 4000 करोड़ से भी ज्यादा कब बना दिया है आज हम जानेंगे कि कैसे एक साधारण परिवार में जन्मे चंदूभाई विरानी की गिनती आज के समय में सबसे अमीर इंसानों में की जाती है आज का या आर्टिकल आप लोगों के लिए बहुत ज्यादा मोटिवेशनल होने वाला है

अगर आप लोग भी अपने जिंदगी में कुछ करना चाहते हैं सक्सेस खाना चाहते हैं तो आप लोगों को इस आर्टिकल को जरूर पढ़ना चाहिए इससे आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा दोस्तों यह आर्टिकल बालाजी वेफर्स कंपनी के मालिक चंदूभाई विरानी के जिंदगी से जुड़ा हुआ है खाने के लिए तो इनका जन्म गुजरात के एक छोटे से मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था लेकिन इनका सपना हमेशा करोड़पति बनने का रहता था यह अपने जीवन में बहुत ज्यादा सफल बनना चाहते थे और यही कारण है कि आज उनकी कंपनी 4000 करोड़ की हो चुकी है 

Balaji Wafers Success Story in Hindi

इस आर्टिकल में मैं आप लोगों को बताऊंगा की कैसे इन्होंने अपने बिजनेस की शुरुआत सिनेमा घरों में जाकर आलू के चिप्स और स्नेक्स बेचने से की और आज के समय में भारत के जाने-माने अरबपति और बिजनेसमैन है 

रतन टाटा जी का एक कोर्ट से मुझे बहुत ज्यादा पसंद है उन्होंने कहा था की मैं सही फैसला लेने पर विश्वास नहीं रखता पहले मैं फैसला लेता हूं और बाद में उसे सही सिद्ध करता हूं और यह बात चंदूभाई विरानी के ऊपर बिल्कुल परफेक्ट बैठता है क्योंकि इनको भी बहुत सारी असफलता का सामना करना पड़ा कई बार तो उनका बिजनेस डूब गया और घर वालों ने पैसा देने से मना कर दिया यहां तक की इन्हें घर से भी निकाला जा रहा था लेकिन इन्होंने हार नहीं माना और अपने सपने पर काम करते गए और रिजल्ट आज आप लोगों के सामने है

कैसा हुई Balaji Wafers कंपनी की शुरुआत

यह बात है1982 की जब चंदूभाई विरानी के मन में अपना खुद का बिजनेस खोलने का सवाल उत्पन्न हुआ उसके बाद उन्होंने अपनी चिप्स और स्नैक्स की कंपनी शुरू की शुरुआती समय में चंदूभाई विरानी अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए आसपास के सिनेमा घरों में कोचिंग सेंटर में पब्लिक पार्क और एक शहर से दूसरे साल लेकर जाते थे बचने के लिए इनके पिता गांव के ही एक किसान थे 

चंदूभाई विरानी के 2 बड़े भाई भी है जब इनका बिजनेस धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ने लगा और इनका प्रोडक्ट बिकने लगा तब इन्होंने छोटे-बड़े 10 से भी ज्यादा सप्लायर को पकड़े और उनसे अपने प्रोडक्ट यानी बालाजी वेफर्स के चीजों को बेचते थे इनका प्रोडक्ट उसे समय बहुत ज्यादा बिकता था इसका कारण था इन्होंने कभी भी क्वालिटी से समझौता नहीं किया हमेशा क्वालिटी अच्छी देने की कोशिश करते थे साथ में इन्होंने क्वांटिटी का भी ध्यान रखा 1989 में इन्होंने राजकोट में अपनी पहली बालाजी वेफर्स कंपनी की फैक्ट्री लगे 

इस तरह से हुई Balaji Wafers Private Limited कंपनी पूरे दुनिया में प्रसिद्ध 

वैसे देखा जाए तो गुजराती लोग बिजनेस करने में बहुत ज्यादा आगे होते हैं और यह कहावत आप लोगों ने सुना ही होगा चंदूभाई विरानी अभी शुरू से ही बिजनेस में बहुत ज्यादा इंटरेस्ट रखते थे उन्होंने अपना बिजनेस अपने पापा से ₹10000 उधार लेकर शुरू किया था और इस बिजनेस से पहले उन्होंने अपने और भी बहुत सारे बिजनेस खोले जो धीरे-धीरे फेल हो गया लेकिन कहते हैं ना कि अगर किसी भी चीज को दिल से चाहा जाए तो पूरी कायनात आपको उससे मिलने में लग जाती है 

शुरू में जब वह Balaji Wafers कंपनी को खोले तब उनके पास पैसा नहीं था अपने व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए तब उन्होंने अपने पिता के परमिशन से करीब 50 लाख रुपया बैंक से लोन लिया और तब सारा पैसा उन्होंने अपने बिजनेस के मैन्युफैक्चरिंग में लगाया और आज के समय में आप लोग उनकी सफलता देख सकते हैं अभी के समय में भारत में सबसे ज्यादा स्नेक्स, नमकीन बालाजी के खाए जाते हैं 

Balaji Wafers की कमाई और Brand Value 

एक समय ऐसा आया जब पूरे भारत के मार्केट में सबसे बढ़िया वेफर्स सिर्फ बालाजी हुआ करता था उसे समय बालाजी लिमिटेड कंपनी का बोलबाला इतना ज्यादा बढ़ गया कि उनकी कंपनी कुछ ही सालों में 2400 करोड़ की हो गई  और अभी के समय में देखा जाए तो बालाजी लिमिटेड कंपनी में सारा काम ऑटोमेटिक होता है आलू छिलने से लेकर काटने तक उसकी भुजिया बनाने फ्राई करने का काम भी मशीन द्वारा होता है प्रोडक्ट की पैकिंग भी ऑटोमेटिक मशीन द्वारा होता है आज हजारों कर्मचारी बालाजी लिमिटेड कंपनी में काम करते हैं 

2003 में बालाजी लिमिटेड कंपनी इतना ज्यादा बड़ा हो गया था कि हर हफ्ते कंपनी 4000 किलो चिप्स की पैकिंग करने की क्षमता रखता था इस कंपनी का व्यापार 30 करोड़ सालाना पहुंच चुका था और उसके बाद इस कंपनी ने अपने चिप्स के अलावा आलू भुजिया, भुजिया मटर नमकीन जैसे और भी बहुत सारे स्नेक्स मार्केट में उतरे और उनकी भी बिक्री खूब तेजी से होने लगी क्योंकि

Balaji Wafers Success Story

उसे समय बालाजी अपने सक्सेज के पिक पर था और तब चंदूभाई विरानी ने सोचा उनको अपनी कंपनी और बढ़ानी चाहिए और एडवांस लेवल की मशीन फैक्ट्री में लाना होगा 

धीरे धीरे Balaji Wafers बन गया इंटरनेशनल कंपनी

एक समय ऐसा आया जब बालाजी वेफर्स कंपनी का प्रोडक्ट पूरे भारत में तेजी से सप्लाई किया जा रहा था उनकी कंपनी में कर्मचारी काम थे तो इन्होंने कर्मचारियों को भी बुला लिया रसोई छोटा पड़ रहा था तो इन्होंने एक बड़ा फैक्ट्री खरीद कर अपना रसोई भी बना दिया लेकिन अब जो इन्हें मशीन चाहिए था वह ऑस्ट्रेलिया में मिल रहा था तभी उन्होंने एक इंजीनियर को बुलाकर अपने लिए मशीन बनवाया जिसमें एक साथ कई तरह के स्नैक्स बनाए जा सकते थ वह भी ऑटोमेटिक बिना किसी कर्मचारी 

देखते देखते बालाजी वेफर्स का प्रोडक्ट भारत के करीबी देश में भी सप्लाई किया जाने लगा जिसमें नेपाल, भूटान, श्रीलंका, जैसे देश शामिल थे और जब इन सब देशों में भी इस कंपनी का प्रोडक्ट तेजी से बिकने लगा तभी से इंटरनेशनल बाजार में उतर गया और आज के समय में 15 से ज्यादा देशों में बालाजी वेफर्स कंपनी का प्रोडक्ट मिलता है

और आज के समय में उनकी कंपनी की वैल्यूएशन 4000 करोड रुपए है बालाजी वेफर्स कंपनी को चंदूभाई विरानी और उनके भाई मिलकर चलते हैं और इन्हीं दोनों की वजह से आज कंपनी इतनी बुलंदियों तक पहुंच पाया है 

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